Kidney Stone पथरी बीमारी का लक्षण, कारण और उपचार
Kidney Stone पथरी बीमारी का कारण :- किसी कारणवश पित्त (Bile) में बाधा पड़ने पर यह रोग उत्पन्न हो जाता है।
जो लोग शारीरिक परिश्रम न कर मानसिक परिश्रम अधिक करते हैं अथवा बैठे-बैठे दिन व्यतीत करते है तथा नाइट्रोजन और चर्बी वाले खाद्य पदार्थ अधिक मात्रा में खाते हैं, उन मनुष्यों को ही इस रोग से आक्रान्त होने की अधिक सम्भावना रहती है।
सौ में से दस रोगियों को 40 से 50 वर्ष की आयु के बाद और अधिकतर स्त्रियों को यह रोग हुआ करता है।
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पेट में पथरी (Kidney Stone)क्यों बनती है? – आधुनिक वैज्ञानिकों का मत है कि कुछ रोगों के कीटाणु (जैसे-टायफायड
के कीटाणु) पित्ताशय में सूजन उत्तपन्न कर देते हैं जिस कारण पथरी बन जाती है।
बी-कोलाई (B-Coli) नामक कीटाणु इस रोग का मुख्य कारण माना जाता है। यह पित्ताशय में साधारण रेत के कणों (1 से 100 तक) से लेकर दो इन्च लम्बी और एक इन्च तक चौड़ी होती है।
पथरी (Kidney Stone) का दर्द कहाँ होता है?
पथरी जब तक पित्ताशय में रुकी रहती है तब तक रोगी को किसी भी तरह की कोई तकलीफ महसूस नहीं होती है।
कभी-कभी पेट में दर्द मालूम होता है। किन्तु जब यह पथरी पित्ताशय से निकलकर पित्त-वाहिनी नली में पहुँचती है, तब पेट में एक तरह का असहनीय दर्द पैदा होकर रोगी को व्याकुल कर देता है। इस भयानक दर्द को पित्तशूल कहते है।
यह शूल दाहिनी कोख से शुरू होकर चारों ओर (दाहिने कन्धे और पीठ
तक) फैल जाता है। और दर्द के साथ अक्सर कै (वमन) ठण्डा पसीना, नाड़ी
कमजोर, हिंमांग (Callapse) कामला, साँस में कष्ट, मूर्छा आदि के लक्षण
दिखलायी देते हैं। यह दर्द कई धन्टों से लेकर कई सप्ताह तक रह सकता है और जब पथरी आँत के अन्दर आ जाती हैं तब रोगी की तकलीफ दूर हो जाती है।
और रोगी सो जाता है। जब तक पथरी स्थिर भाव में रहती है तब तक तकलीफ घट जाती है और जब पथरी हिलती-डुलती है उसी समय तकलीफ पुनः बढ़ जाया करती है।
इस प्रकार पथरी के हिलने-डुलने से तकलीफ बढ़ती-घटती रहती है। यह क्रम कई घन्टों से लेकर कई सप्ताह तक चल सकता है।
पित्ताशय शूल के लक्षण स्पष्ट होने पर पित्त पथरी का ज्ञान हो जाता है।
यदि वैद्य (चिकित्सक) को निदान में सन्देह हो तो तुरन्त ६ (X-Ray) करा लेना
चाहिए।
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Kidney Stone पथरी के लिए घरेलु उपाय
- प्याज को कतरकर जल से धोकर उसका 20 ग्राम रस निकाल कर उसमें 50 ग्राम मिश्री मिलाकर पिलाने से पथरी टूट कर पेशाब के द्वारा बाहर निकल जाती है।
- नीबू का रस 6 ग्राम, कलमी शोरा 4 रत्ती, पिसे तिल 1 ग्राम (यह खुराक की मात्रा है) शीतल जल के साथ दिन में 1 या 2 बार 21 दिन तक सेवन कराने से पथरी गल जाती है।
- मूली में गड्ढा खोद उसमें शलगम के बीज डालकर गूंथा हुआ आटा ऊपर से लपेट कर भूभल में सेकें। जब भरता हो जाये या पक जाये तब आग से निकालकर आटे को अलग कर खावें। पथरी-टुकड़े-टुकड़े होकर निकल जाती है।
- पपीते की जड ताजी 6 ग्राम को जल 60 ग्राम में पीस छानकर 21 दिन तक पिलाने से पथरी गलकर निकल जाती है।
- केले के खम्भे के रस या नारियल के 3-4 औंस जल में शोरा 1-1 ग्राम मिलाकर दिन में दो बार देते रहने से अश्मरी कण निकल जाते हैं और पेशाब साफ आ जाता है।
- अशोक बीज 6 ग्राम को पानी के साथ सिल पर महीन पीसकर थोड़े, से जल में घोलकर पीने से कुछ दिन में ही पथरी निर्मूल हो जाती है।
- मूली का रस 25 ग्राम व यवक्षार 1 ग्राम दोनों को मिलाकर रोगी को पिलायें। पथरी गलकर निकल जायेगी।
- टिंडे का रस 50 ग्राम, जवाखार 16 ग्रेन (1 ग्रेन-1 चावल भर) दोनों को मिलाकर पीने से पथरी रेत बनकर मूत्र मार्ग से बाहर निकल जाती है।
- केले के तने का जल 30 ग्राम, कलमी शोरा 25 ग्राम दूध 250 ग्राम तीनों को मिलाकर दिन में दो बार पिलायें। दो सप्ताह सेवन करायें। पथरी गलकर निकल जाती है।
- लाल रंग का कूष्मान्ड (सीताफल) खूब पका हुआ लेकर 250 ग्राम रस निकालें इसमें 3 ग्राम सेन्धा नमक मिलाकर पिला दें। प्रयोग दो सप्ताह नियमित दिन में 2 बार करायें। पथरी गलकर मूत्र मार्ग से निकल जाती है।
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