डायरिया या अतिसार (दस्त – DIARRHEA) लक्षण, कारण और घरेलू उपचार
डायरिया या अतिसार (दस्त – DIARRHEA)– दोस्तों आप सबने डायरिया या अतिसार ,दस्त – DIARRHEA के बारे में जरूर सुना होगा और कभी न कभी आप भी इस बीमारी का शिकार हुए होने। आज इंडिया में या दूसरे विकसित देशो में डायरिया को एक साधारण बीमारी समझा जाता है।
पर क्या आपको पता है ऐसे भी कुछ देश है जहा आज भी डायरिया के वजह से कही बच्चे मर रहे है। है दोस्तों और इसी बीमारी को हटाने के लिए बिल्स गेट्स सर की bill and melinda gates foundation काम कर रही है।
आज हम डायरिया के बारे में सभी बाते जानेंगे यह बीमारी के लक्षण क्या है और इसका निवारन क्या हो सकता है,और अगर आप और किसी बीमारी के बारे में जानना चाहते हो तो आप हमसे सम्पर्क कर सकते हो।
डायरिया DIARRHEA ,अतिसार या दस्त के कारण तथा लक्षण
रोग परिचय- बैक्टेरिया के संक्रमण के वजह से , डायरिया DIARRHEA या अतिसार ,दस्त यह बीमारी होती है, यह बीमारी एक स्वस्थ व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकती है ।
कैम्पिलोबैक्टर (जीवाणु), सैल्मोनेले, और शिगेला जीव बैक्टीरियल अतिसार होने के मुख्य कारण है। परजीवी दूषित पानी के माध्यम से रोगी के पाचन तंत्र को संक्रमित कर देते हैं। संक्रमण फैलाने वाले परजीवियों में जिआर्डिया लैंब्लिया, एंटअमीबा हिस्टोलिटिका, और क्रिप्टोस्पोरिडियम मुख्य है। अतिसार बीमारी का शिकार बच्चे व बड़े भी हो सकते है।
डायरिया DIARRHEA या अतिसार ,दस्त के प्रमुख लक्षण
- इसमें पतले दस्त आने से पहले पेट में हल्का-हल्का और मीठा-मीठा दर्द मालूम हुआ करता है।
- पिचकारी की तरह तेजी के साथ काफी मात्रा में पतले दस्त आते हैं जिससे रोगी बहुत कमजोर हो जाता है।
- जीभ सूखी रहती है।
- आँखें पीली पड़ कर अन्दर की ओर धंस जाती है।
- शरीर की चमड़ी रूखी-सूखी हो जाया करती है। पेट को दबाने से दर्द होता है।
- रोगी की चुस्ती-फुर्ती समाप्त हो जाती है।
- भार की कमी महसूस होती है।
- उदर में.गड़गड़ाहट होना, कभी-कभी प्यास की अधिकता, अरुचि, ये इस रोग के मुख्य लक्षण हैं।
- कभी-कभी वमन भी होती है-जो उग्र रूप भी धारण कर लेती है।अनुपयुक्त खाद्य वस्तुएं खाना, अशुद्ध जल पीना, पाचनक्रिया की गड़बड़ी,पेट में कृमि विकार, यकृत की क्रिया ठीक न होना, ऋतु-परिर्वतन, जुलाब लेना,शोक, भय, दु:ख आदि कारणों से अतिसार हो जाया करता है।
यह बीमारी होने से आपको कोई डरने की बात नहीं है। इसका इलाज आप अपने गांव के सरकारी इस्पातल में मुक्त कर सकते है या किसी प्राइवेट हॉस्पिटल में भी आप जा सकते हो। यह रोग साध्य है। उचित चिकित्सा से प्रायः ठीक हो जाता है।
डायरिया DIARRHEA या अतिसार ,दस्त हेतु, जांच
आपने इस बीमारी को मिटने के लिए सभी प्रयत्न कर लिए यदि फिर भी अतिसार की शिकायत दूर नहीं हो रही तो ऐसी परिस्थिति में डॉक्टर्स आप को अतिसार निवारण हेतु, कुछ परीक्षण की सलाह दे सकते हैं। जैसे की रक्त परिक्षण ,स्टूल टेस्ट- (बीमारी का कारण बैक्टिरिया, परजीवी तो नहीं) या
कोलोनोस्कोपी – उक्त दो जांचों में यदि कोई भी परिणाम नहीं निकल रहा तो, डॉक्टर्स आप को कोलोनोस्कोपी परीक्षण हेतु लिख सकते हैं, जिसमें रोगी के पेट की, अंदरूनी भाग की जांच, एक विशेष प्रकार के लैंस द्वारा की जाती है।
डायरिया DIARRHEA ,अतिसार या दस्त के उपाय
- उपचार-नये अतिसार में अरारोट, सागूदाना या बाब दें।
- अनार का रस,सन्तरे तथा मौसम्मी का रस दिया जा सकता है।
- दूध कदापि न दें।
- पुराने अतिसार में पुराने चावलों का भात, मसूर की दाल का रस, चावल से दुगुनी मूंग की दाल की पतली खिचड़ी (भदड़ी) या सागूदाना दें।
- गर्म जल में तौलिया भिगोकर शरीर को अच्छी तरह पौंछवा दें। पेट गर्म कपड़े से ढंकवा कर रखें।
- सुबह शाम रोगी को टहलने का निर्देश दें।
- किसी भी प्रकार के अतिसार में मिथ्या आहार-विहार तथा अधिक मात्रा में खट्टी चीजें खाना अपथ्य है।
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डायरिया DIARRHEA या अतिसार ,दस्त नाशक कुछ घरेलू उपचार
- पिन्ड खजूर 5-7 खाकर 1 घन्टे बाद थोड़ा-थोड़ा पानी कई बार पियें।
अतिसार में लाभ होता है। - कबावचीनी के चूर्ण के साथ थोड़ी सी अफीम घोटकर 1-1 रत्ती की गोलियाँ बनाकर सेवन कराने से आमातिसार में विशेष रूप से लाभ होता है।
- यदि अतीसार पक्व हो तो नीम के कोमल पत्र और बबूल के पत्र 6-6 ग्राम एकत्र पीसकर दिन में 2 बार शहद के साथ देने से तत्काल लाभ होता है।
- इसे आमातिसार में कदापि प्रयोग न करायें।
- नवजात शिशु तथा छोटे बच्चों को अतिसार होने की अवस्था में जायफल को पत्थर पर घिस कर थोड़ा सा बार-बार चटाने से लाभ होता है।
- जामुन की गुठली का चूर्ण, आम की गुठली की गिरी का चूर्ण तथा भुनी हुई हरड़, समान मात्रा में लेकर खरल करें तत्पश्चात् जल से सेवन करायें।यह नुस्खा जीर्णातिसार में लाभप्रद है।
- रोगी की नाभि में बड़ का दूध भरने से दस्त बन्द हो जाते हैं।
- सफेद राल 4 ग्राम, मिश्री 8 ग्राम दोनों को बारीक करके पीसें।तदुपरान्त प्रात:काल 6 ग्राम दही के साथ मिलाकर खिलायें। लाभ होगा।
- यदि बहुत छोटे बच्चे को अधिक दस्त हो तो असली केसर 1-2 चावल-(भर) घी में मिलाकर चटायें। विशेष रूप से लाभप्रद है।
- अतीस 4-4 रत्ती माँ के दूध में घिस कर छोटे बच्चों को देने से अतिसार रुक जाता है।
- बढ़े हुए अतिसार में जब किसी तरह से दस्त न रुकते हों तो हल्दी बारीक पीसकर कपड़छन करके अग्नि पर भून लेवें और हल्दी के बराबर काला नमक मिलायें। इसे 3-3 ग्राम की मात्रा में ठन्डे जल से 4-4 घन्टे पर दें। अवश्य लाभ होगा।
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