अजीर्ण (DYSPEPSIA) बीमारी के लक्षण और घरेलु इलाज
अजीर्ण, अग्निमान्द्य (DYSPEPSIA)– दोस्तों आपने कही बार अजीर्ण या पेट ख़राब होना यह सब महसूस किया होगा। जिसे हम अपच या बदहजमी (indigestion / Dyspepsia) भी कहते है.
यह एक एक चिकित्सा संबंधी स्थिति है जिसकी विशेषता पेट के उपरी हिस्से में बार-बार होने वाला दर्द, ऊपरी उदर संबंधी पूर्णता और भोजन करने के समय अपेक्षाकृत पहले से ही पूर्ण महसूस करना है। इसके साथ सूजन, उबकाई, मिचली, या हृद्दाह (अम्लशूल) होता है। इसे ‘पेट की गड़बड़’ भी कहते हैं।
आज हम आपको इस आर्टिकल में पेट मे होने वाली अजीर्ण (DYSPEPSIA) बीमारी के लक्षण और घरेलु इलाज के बारे में विस्तार से बतानेवाले है।
अजीर्ण DYSPEPSIA रोग परिचय
अजीर्ण रोग आम तौर पर साधारण सा रोग समझा जाता है . किन्तु दोस्तों अगर आप भी इस बीमारी को साधारण सी बीमार समझने की भूल कर रहे हो तो सतर्क हो जाइये इसके परिणाम गम्भीर हो सकते हैं, यहाँ तक कि अगर रोग अति पुराना हो गया हो तो रोगी की मृत्यु भी सम्भव है।
यदि यह कहा जाये कि अजीर्ण रोग रोगी को धीरे-धीरे मृत्यु की ओर धकेलने वाला भयानक रोग है तो अतिशयोक्ति न होगी।
अजीर्ण का सीधा सा अर्थ है पाचन-विकार अर्थात खाया-पिया हजम ना होना
। इसको अग्नि-मान्द्य तथा मन्दाग्नि के नाम से भी जाना जाता है।
अजीर्ण (DYSPEPSIA) कारण एवं लक्षण
अजीर्ण (DYSPEPSIA)– अत्यन्त स्निग्ध (चिकने) पदार्थों के सवेन से अजीर्ण उसी प्रकार उत्पन्न होता है जैसे बहुत अधिक धृत को अग्नि पर उड़ेल देने पर वह बुझ जाती है।
अत्यधिक जल पीने से, दिन में सोने से तथा रात्रि में जागरण के समय पर ग्रहण किया हुआ साम्य एवं लघु अन्न भी नहीं पचता है।
समय-कुसमय बहुत-सा गरिष्ट भोजन करना, खाद्य पदार्थ को बिना अच्छी
तरह चबाये ही निगल जाना, तम्बाकू का अत्यधिक सेवन, चाय एवं शराब का
अति सेवन, शक्ति से अधिक मानसिक अथवा शारीरिक परिश्रम अथवा बिल्कुल
परिश्रम ही न करना, खटाई, अचार खट्टी चीजों का अति सेवन, सदा अस्वास्थकर मकान में रहना, कमर में बहुत कसकर कपड़े पहिनना, शरीर में खून की कमी, तथा मन हमेशा मुझ्या रहना, ईर्ष्या-द्वेष, भय एवं क्रोध से युक्त अन्न के लोभी तथा अन्न से द्वेष करने वाले व्यक्ति प्रायः अजीर्ण के रोगी बन जाते हैं।
अजीर्ण (DYSPEPSIA) बीमारी के लक्षण क्या होते है
इस रोग में भूख नहीं लगती, खट्टी-खट्टी डकारें आती हैं, छाती में जलन
होती है। सिर में भारीपन रहता है। कभी-कभी सिर में चक्कर भी आते हैं, जी
मिचलाता है, पेट फूल जाता है, दिल अधिक धड़कता है, मुँह में पानी भर आता
है। खाने-पीने की इच्छा नहीं होती है।
या तो कब्ज बनी रहती है या बदहज्मी के पतले दस्त आते हैं। किसी काम को करने को मन नहीं चाहता है तथा मामूली सी मेहनत करने से ही थकावट हो जाती है। दिल भारी-भारी एवं सुस्त रहता है तथा जीभ पर मैल की तह जम जाती है। रोग पुराना होने पर गैस तथा स्नायु-दुर्बलता भी हो जाती है, पेट में वायु की गड़गड़ाहटं एवं पेट बढ़ा हुआ होना, नींद की कमी, शारीरिक वजन में कमी होना-इसके प्रधान लक्षण हैं।
अजीर्ण (DYSPEPSIA) बीमारी के जरुरी
खाने से पूर्व सिरके की चटनी, अदरक का मुरब्बा या पुदीना की चटनी खिलायें। खाने के साथ सैंधा नमक मिला अदरक का बारीक किया हुआ लच्छा दें। खाने के बाद ब्रान्डी या मृत संजीवनी सुरा की एक चम्मच 100 ग्राम ताजे जल में मिला कर दें।
हल्का शारीरिक श्रम, प्रातः भ्रमण एवं नित्य स्नान को कहें। दिन में शयन तथा रात्रि-जागरण, मिथ्या आहार-बिहार तथा कुसमय का भोजन छुड़ा दें। कच्चे नारियल का जल, कच्ची गिरी, लघु पाकी आहार, पुराने चावल का ताजा भात (बासी न हो), कच्चे पपीते की सब्जी आदि खाने को निर्देशित करें।
रोगी को मानसिक भय, उत्तेजना, क्रोध, शोक,चिन्ता आदि से बचायें। रोगी को शान्त एवं प्रसन्न चित्त रहने को कहें। पेट में भारीपन होने पर खाना न दें, लंघन-करादें,। समय-समय पर जब भी मल-मूत्र की शंका हो, तुरन्त त्यागें, इसमें आलस्य कतई न करें।
अजीर्णनाशक कुछ घरेलू नुस्खे
- नीबू के रस में जायफल पीसकर चटाने से दस्त साफ होकर अफारा मिट जाता है।
- दालचीनी, सोंठ, इलायची सम मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें।
- भोजन से पहले 1 ग्राम जल से लें। अरुचि, मंदाग्नि दूर हो जाती है।
- धनिये का चूर्ण 3 ग्राम, सोंठ का चूर्ण 3 ग्राम लेकर 100 ग्राम गरम पानी के साथ सेवन करने से अजीर्ण में लाभ होता है .
- सेंधानमक, सोंठ तथा हरीतकी बराबर मात्रा में लेकर महीन चूर्ण बनायें दोनों समय 3-3 ग्राम की मात्रा से लेने पर अजीर्ण में लाभ होता है।
- तुलसी के पत्तों का रस प्रतिदिन 10 ग्राम लेने से कुछ ही दिनों में अजीर्ण का विकार दूर हो जाता है।
- पीपल (पिप्पली) का चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से पाचन-शक्ति बढ़ती है तथा अजीर्ण नष्ट हो जाता है।
- छोटी हरड़ को भूनकर काले नमक के साथ फंकी लगाने से अजीर्ण आदि नष्ट हो जाते हैं।
- काली जीरी, राई तथा गुड़ तीनों बराबर मात्रा में लेकर जंगली बेर केसमान गोलियाँ बनायें। यह 1 गोली पानी के साथ निगल जाने से अजीर्ण दूर होता है तथा खाया-पिया पच जाता है।
FINAL WORD
FRIEND’S अब आपने जान लिया की अजीर्ण (DYSPEPSIA ) बीमारी कैसे होती है । यह बीमारी होनेपर क्या करे और क्या न करे।
दोस्तों अगर हमरी ये पोस्ट आपको पसंद आया हो तो इस पोस्ट शेयर जरूर करे आपके एक शेयर करने से किसी को इस बीमारी के बारे में जानकारी मिलेगी ।
DYSPEPSIA information in English
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