Asthma -Symptoms, Causes, Treatment in Hindi

दमा (ASTHMA),श्वास रोग रोग परिचय,लक्षण एवं कारण

Asthma -Symptoms, Causes, Treatmentअस्थमा रोग परिचय, लक्षण एवं कारण :-फेफड़े में वायु वहन करने वाली नालियों की छोटी-छोटी पेशियों में जब अकड़न भरा संकोच पैदा होता है, श्वास लेने में तकलीफ होने लगती है।इसी अवस्था को श्वास रोग, दमा, तमक श्वास तथा अंग्रेजी में अस्थमा (Asthma ) के नाम से जाना जाता है।
Asthma -Symptoms, Causes, Treatment in Hindi
Asthma (अस्थमा ) आम तौर पर प्रौढ़ स्त्री-पुरुषों को हुआ करता है। रोगियों को प्रायः यह रोग अपने माता-पिता अथवा दादा-दादी से ही प्राप्त होता है। कभी-कभी नाक की कोई बीमारी रहने से अर्बुद, उपदंश, बोक्रायटिस अथवा जरायु डिम्बकोष की बीमारी होने से तथा स्नायु विकारों से एवं धूल के कण एवं धुंआ आदि के वातावरण में अधिक रहने से भी यह बीमारी हो जाती है।


बच्चों को Asthma (अस्थमा ) कैसे होता है 

बच्चों को Asthma (अस्थमा ) रोग फेफड़े एवं श्वास प्रणाली में कफ जमकर सूख जाने से होता है। कफ के द्वारा अवरोध पैदा होने से सांस लेने में उन्हें का कठिनाई होती है और दम फूलने लगता है। पशुकायें तेजी से गति करने लगती हैं। इतना ही नहीं,बच्चा बुरी तरह से हाँफने लगता है। बच्चों को यह दमा की बीमारी अक्सर खसरा बुखार अथवा कुकुर खाँसी होने के बाद होती है।

सूखा दमा (Dry Asthma) और आद्र श्वास (Hamisid Asthma)

दमा की खांसी में तनाव के कारण श्वास-प्रश्वास में कष्ट होता है। यह
तनाव कभी कम या कभी बहुत ज्यादा हुआ करता है। जिस दमें के रोगी को कफ (बलगम) ज्यादा नहीं निकलता उसे सूखा दमा या शुष्क श्वास (Dry Asthma) कहते हैं। जिस में रोगी को बहुत ज्यादा कफ निकलता है, उसे तर दमा या आद्र श्वास (Hamisid Asthma) कहते हैं।
इसमें दौरे के समय रोगी न तो सो सकता है, न बैठ सकता है तथा खुली हवा के लिए बैचेन हो उठता है। ऐसे में तीव्र ज्वर,दस्त तथा श्वास कष्ट होता है। गले में सायं-सायं की आवाज होती रहती है।


खाँसते समय जब कुछ बलगम निकल जाता है, तब रोगी को राहत महसूस होती है। रोगी दौरे के समय लेट नहीं सकता आमतौर पर वह बेचारा तकिया को गोद में रखकर सामने की ओर झुककर बैठा रहता है।
श्वासकष्ट जब अधिक बढ़ जाता है तब रोगी का चेहरा नीला पड़ जाता है, वह पसीने से भीग जाता है यह रोग किसी रोगी को शरद ऋतु (जाड़े में) तो किसी को यह बीमारी वर्षा ऋतु (बरसात) में सताती है। इस रोग से ग्रसित रोगियों को मृत्यु-भय चिकित्सीय दृष्टि से नहीं होता है। क्योंकि दमा के रोगी की मृत्यु आसानी से नहीं होती। वह दीर्घ-जीवी हुआ करता है। बचपन का दमा अक्सर जवानी में ठीक हो जाता है तथा जवानी में उत्पन्न हुआ दमा मृत्यु पर्यन्त बना रहता है।

Asthma (अस्थमा ) दमा बीमारी के लिए  जरुरी पथ्य

इस रोग के रोगी का अधिक सोना, शीतल तथा अम्लीय चीजों का खाना-पीना, रात को भरपेट भोजन करना, अधिक धूप में चलना-फिरना, भारी गुरुपाकी भोजन, गुड़, तेल, लाल मिर्च, लहसुन, अन्डा, मांस, मछली, चना आदि न दें। साथ ही ऋतु परिवर्तन के समय विशेष सावधानी बरतने का निर्देश दें।
इस रोग के रोगी को नंगे बदन में हवा लगना भयानक एवं घातक है। धूल व धुंआ रहित मकान (कमरा)-जहाँ कृत्रिम स्वच्छ हवा आती हो, रोगी को ऐसे स्थान पर रखना लाभदायक है। दमा के रोगी को खुराक में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। उसे रात्रि को हमेशा सूरज छिपने से पूर्व ही तथा भूख से कुछ कम भोजन करना चाहिए।
अजीर्ण या कब्ज बिल्कुल नहीं होने देना चाहिए। दम न चढ़ने पाये। इसके लिए पेट साफ रखें। पेट साफ रखने के लिए रात को स्वादिष्ट विरेचन या रेचन गुटिका तथा प्रात:काल अविपत्तिकर चूर्ण या टिकिया या मग्नेशिया साल्ट सप्ताह में दो बार देना चाहिए।
दमा उठने के वक्त-शुरू में अच्छी तरह उबाली हुई काफी या बड़ी मात्रा में
सोडा (स्वर्जिकाक्षार) देना चाहिए। साधारण दम हो तो हरड़ का अलवेह या वासावलेह के साथ श्वास कुठार रस देना चाहिए।
यदि दमा का दौरा तीव्र गति से हो तो शान्ति न होने तक प्रत्येक 2-2 घन्टे में धत्तुरीन एक भाग पानी मिला कर देना चाहिए ।
दम बैठ जाने (आराम हो जाने) के बाद रोगी की छाती में कफ मालूम हो तो द्राक्षासव के साथ अग्नि रस देना चाहिए। दमा के रोगी के दम यदि अधिक चढ़ता हो तो पानी को उबाल कर रोगी के सामने रखकर पानी के बाफ में श्वास दिलवायें। धतूरे की बीड़ी पिला सकते हैं। छाती तथा कमर पर गरम पानी की सेंक करवा सकते है।


Asthma अस्थमा रोग दमा के लिए घरेलू गुणकारी  प्रयोग

  1. आक (अकौआ) की कोपलें 15 ग्राम, देशी अजवायन 10 ग्राम लें।दोनों को बारीक पीसकर 25 ग्राम गुड़ मिलायें, फिर 2-2 ग्राम की गोलियाँ बनालें। एक गोली नित्य प्रात:काल दमा के रोगी को निहार-मुँह खिलवायें। रोग शीघ्र-समूल नष्ट हो जायेगा।
  2. घरेलू औषधि में फिटकरी का पाउडर 10 से 15 ग्रेन तक जीभ पर रख देने से दमा का वेग बन्द हो जाता है।
  3. बहेड़े की छाल 250 ग्राम, नौशादर फुलाया हुआ 15 ग्राम, सोना गेरू 10 ग्राम सभी को कूट-पीसकर छानकर मिलालें। इसको 3-3 ग्राम प्रात: सायं शहद के साथ सेवन करने से श्वास-कास नि:सन्देह मिट जाता है।
  4. बांसे का रस, अदरक का रस, शहद प्रत्येक 6-6 ग्राम मिलाकर दीर्घकाल तक सेवन करायें। खाँसी, दमा तथा भूख न लगने की अमृत-तुल्य औषधि है रक्ताल्पता वाले रोगी इसके सेवन से लाल सुर्ख हो जाते है।
  5. रात को सोने के वक्त एक ड्राम रक्त शोधन क्वाथ दमा के रोगी को पिलाने से दमा का हमला नहीं होता।
  6. शुद्ध आंवलासार गन्धक 50 ग्राम, काली मिर्च 50 ग्राम दोनों को बारीक पीसकर कपड़छन करके शुद्ध-साफ काँच की शीशी में रख लें। प्रतिदिन 4 से 6 ग्राम तक घृत के साथ सेवन करवायें। श्वास-कष्ट और खाँसी को नष्ट करने के लिए अद्वितीय प्रयोग है। कुछ दिन के सेवन से ही कफ निकल जाता है।
  7. कायफल और काकड़ासिंगी 3-3 ग्राम शहद के साथ चटाने से दमा रोग में लाभ होता है।
  8. आक की मुखबन्द कली 20 ग्राम, पीपल 10 ग्राम,सैंधा नमक 10 ग्राम को पीसकर झाड़ी के बेर समान गोलियाँ बनाकर प्रात: सायं पानी के साथ खाने से श्वास का रोग निश्चित रूप से ठीक हो जाता है।
  9. हल्दी 10 ग्राम, राई 10 ग्राम, लोटन सज्जी 10 ग्राम, पुराना गुड़ 80 ग्राम सबको कूट-पीसकर बेर के समान गोलिया बनाकर 40 दिन खिलायें।श्वासकी बीमारी जाती रहेगी।





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