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कब्ज या कोष्ठबद्धता (CONSTIPATION) रोग परिचय, लक्षण एवं कारण
कब्ज या कोष्ठबद्धता (CONSTIPATION)– कब्ज का सीधा सा अर्थ है मल उतरने की क्रिया का विकृत हो जाना। यह आँतों की गड़बड़ी के कारण होता है।

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कब्ज या कोष्ठबद्धता (CONSTIPATION) बीमारी कैसे होती है।
कब्ज या कोष्ठबद्धता (CONSTIPATION)का कारण – ज्वर, पान्डु, अर्श, नाड़ी की दुर्बलता, रिकेट्स (सूखा रोग) भोजन कम करना,
किसी प्रकार का शारीरिक श्रम न करना, रात में जागना, तेज असरकारक चाय,
काफी, या दूसरी नशीली (मादक) चीजें का खाना पीना, शोक, दु:ख, भय होना
या यकृत के रोग, बुढ़ापा, गरिष्ठ भोज्य पदार्थों का खाना-पीना आदि कारणों से
कब्ज का रोग होता है। यह रोग प्रौढों तथा बूढों को अधिक तंग करता है।
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कब्ज या कोष्ठबद्धता (CONSTIPATION) बीमारी के लक्षण
- कब्ज रोग में शौच साफ नहीं होता है। मल सूखा तथा कम निकलता है, रोगी को भूख नहीं लगती है.
- पेट भारी सा रहता है तथा पेट में मीठा-मीठा दर्द सा रहता है।
- जीभ पर मैल की तह जम जाती है।
- मुँह का स्वाद (जायका) खराब हो जाता है तथा कभी-कभी मुख से दुर्गन्ध भी आने लगती है। इसके अतिरिक्त सिर में दर्द, कमर में दर्द, ज्वर,आलस्य, सुस्ती, निद्रा का अभाव तथा मन्दाग्नि के लक्षण भी मिलते है। रोग बहुत पुराना होने पर रोगी को बवासीर तथा गृध्रसी रोग भी हो जाते है।
- कोष्ठबद्धता, मलावरोध, मल बन्ध, मल न उतरना सब कब्ज के पर्यायवाची हैं।
- शिशुओं में माँ का दूध पूरी मात्रा में न मिलना, गाय के दूध में अधिक पानी मिला देना, माँ के दूध में अधिक चिकनाई, गाय का विशुद्ध दूध पिलाना, अन्तड़ियों की कमजोरी, गुदा छिल जाना, आमाशय के निचले मुँह का छोटा होना या मलाशय का सिकुड़ जाना आदि कारणों से कब्ज का रोग बन जाता है।
कब्ज या कोष्ठबद्धता (CONSTIPATION) बीमारी के उपचार
कब्ज या कोष्ठबद्धता (CONSTIPATION) बीमारी के उपचार:- कब्ज का रोग बड़ी मुश्किल से दूर होता है।
मूल कारण को दूर कर कब्ज की चिकित्सा करनी चाहिए। नये रोग में आहर-विहार ठीक रखने तथा स्वास्थ्य के नियमों का कड़ाई से पालन करने से कब्ज का रोग दूर हो जाता है। इसमें दवा की आवश्यकता नहीं होती है।
पुराने रोग में नियमित आहार-विहार सुधारने के साथ ही साथ दवा की भी आवश्यकता होती है।
- ध्यान रहे कि शौच-क्रिया के समय अधिक जोर न लगायें, मल चाहे आये या न आये। दाँये हाथ से उदर पर नीचे से ऊपर की ओर वृहदन्त्र की हल्की मालिश कराना उपयोगी है।
- ब्राह्म मुहूर्त (प्रात:काल) नित्य ठन्डा पानी (एक श्वास में जितना भी आसानी से पी सके) पीना उपयोगी है।
- नियमित आहार-विहार-समय पर खाना, पीना, सोना, मल-त्यागना तथा दिन में ठन्डे पानी का अधिक पीना लाभप्रद है।
- आम, अंगूर, खरबूजा, किशमिश, मुनक्का, खजूर, सन्तरा, नाशपाती,अमरूद (बीजों को न चबायें) पपीता, अन्जीर आलू बुखारा, अडूचा, आडू,शहद, दूध मक्खन, कागजी नीबू, कच्चा गूलर आदि खाने दें।
- जैतून के तेल का विरेचन दें, यह हानिरहित है। टायफाइड ज्वर, आरक्त ज्वर, खसरा, चेचक आदि में विरेचन दें। यदि आवश्यक हो तो ग्लसरीन की बत्ती लगवा दें।
- एनीमा की आदत न डालें।
कब्ज या कोष्ठबद्धता (CONSTIPATION) बीमारी के प्राकृतिक उपचार
कब्ज या कोष्ठबद्धता (CONSTIPATION) बीमारी के प्राकृतिक उपचार-
- प्रात: काल निहार-मुँह दस दाने काजू और पाँच दाने मुनक्का खाने से मलावरोध नहीं होता है। प्रात:काल 100 ग्राम टमाटर का रस पीना भी लाभप्रद है।
- टमाटर का रस आँतों में जमे हुए मल को काटकर आँतो की सफाई में महत्त्वपूर्ण कार्य करता है।
- प्रात:काल दो सेबों को दाँतों से काटकर खाना तथा इसी प्रकार नाश्ते से पूर्व बड़े, पीले पके सन्तरे का रस पीना भी लाभप्रद है।
- पतीता आँतो की सफाई करने में अद्वितीय है।
- मलावरोध से पीड़ित रोगी को सुबह चारपाई से उठकर जल पीने की सलाह दें।
- कब्ज की शिकायत भाग जायेगी।
- जहाँ तक सम्भव हो, विरेचन युक्त औषधि न लें। क्योंकि नियमित विरेचन करने से आँतों की स्वाभाविक प्रेरक शक्ति नष्ट होती है तथा विद्ग्धाजीर्ण होकर आन्त्रशोथ और प्रवाहिका (पेचिस) तक होने का भय बना रहता है।
कब्ज या कोष्ठबद्धता (CONSTIPATION) बीमारी के घरेलू उपचार
कब्ज छोटे-बड़े सभी लोगों को हो जाता है| इसमें खाया हुआ भोजन शौच के साथ बाहर नहीं निकलता| वह आंतों में सूखने लगता है| मतलब यह कि आंतों में शुष्कता बढ़ने के कारण वायु मल को नीचे की तरफ सरकाने में असमर्थ हो जाती है| यही कब्ज की व्याधि कहलाती है|कब्ज या कोष्ठबद्धता (CONSTIPATION) बीमारी के घरेलू उपचार.
- बच्चों को अंजीर या बनफशा का शर्बत 1 चम्मच चटायें।
- दूध पिलाने के बाद सन्तरे का रस पिलायें तथा बार-बार पानी पिलायें।
- शुद्ध गन्धक या कैमिस्टों से ‘सल्फर’ खरीदकर 60 मि.ग्रा. प्रतिदिन खिलाते रहने से मल कठोर होना तथा कठिनाई से आने का कष्ट दूर हो जाता है।
- बच्चे के पेट पर ‘कैस्टर आयल’ मल देने से कब्ज दूर हो जाती है।
- छोटी हरड़ (काली या जंगी हरड़) जैसी पंसारी के यहां से खरीदें, वैसी ही (बगैर कूटे पीसे तथा बिना भुनी) पानी से धोकर या कपड़े से पोंछकर 2-3 प्रतिदिन चूसें, यह प्रभावकारी है
नोट :- यह खुश्की करती है अतः घी दूध का सेवन आवश्यक है।
- सनाय की पत्ती 50 ग्राम, सौंफ 100 ग्राम मिश्री 200 ग्राम तीनों को कूट-पीसकर चूर्ण बनायें। रात्रि में सोते समय 6 ग्राम गर्म पानी से लें। प्रातःकाल खुलकर दस्त हो जायेगा।
अगर आपको किसी और बीमारी की जानकारी चाहिए तो आप हमसे संपर्क कर सकते हो।
Note:- किसी भी दवाई को या नुस्के को आजमाने से पहले किसी वैद्य या डॉक्टर की सलाह अवश्य ले।
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