मधुमेह (DIABETES ) रोग परिचय, लक्षण एवं कारण
मधुमेह (DIABETES) रोग परिचय, लक्षण एवं कारण :-मीठी खाद्य वस्तुएँ खाने से ,वे शर्करा में परिणित होकर शरीर के ताप को वे बढ़ाने के कार्य में लग जाती है,
किन्तु जब मधुमेह से कोई रोगी जब पीड़ित होता है, तब इस रोग में चीनी अच्छी तरह से न पचकर तथा बिना किसी परिवर्तन के, लगभग उसी रूप (हालत) में पेशाब के साथ निकल जाती है।
इस रोग में पेशाब बहुत होता है तथा उसमें चीनी (Suger) मिली रहती है।
यह रोग स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों को तथा निर्धनों की अपेक्षा धनिकों को (40
से 60 वर्षों की आयु में) अधिक होता है।
मधुमेह (DIABETES) होने के मुख्य कारण
मधुमेह (DIABETES) होने के मुख्य कारण– यह अधिक मानसिक परिश्रम, चिन्ता, उत्तेजना, चोट, और कुछ संक्रामक रोगों (जैसे-डिप्थीरिया, मलेरिया,-इन्फ्लूएन्जा,टोन्सीलाइटिस आदि) के बाद भी कभी-कभी हो जाता है।
अत्यधिक, शर्करा युक्त खाद्य भोज्य पदार्थों का अधिक सेवन तथा यकृत या क्लोम ग्रन्थियों के कार्यों में कमी आ जाने के परिणाम स्वरूप भी यह रोग हो जाया करता है।
इसके आरम्भ होने से पहले खूब भूख लगती है, किन्तु धीरे-धीरे भूख
मन्दी होती जाती है तथा शरीर की त्वचा सूखी तथा छूने से रूखी-खुरखुरी
मालूम होती है।
दाँत की जड़ (मसूढ़े) फूलते हैं तथा उनसे खून निकलता है। कब्ज, अधिक प्यास लगना, अधिक पेशाब आना, मूत्र का आपेक्षिक गुरुत्व 1060 से ऊपर जाना, पेशाब में शर्करा निकलना, शरीर में खुजलाहट, शरीर रूखा, कमजोरी तथा वजन घटने लगना आदि इस रोग के मुख्य लक्षण है।
इसके बाद शरीर धीरे-धीरे क्षीण होता जाता है, पैर फूलता है। यदि यह रोग स्त्रियों कोहो तब उनके गुप्तांग में खुजली पैदा हो जाती है, बीमारी बढ़ने के साथ ही साथ फेफड़े खराब हो जाते है तथा कारबंकल (फोड़ा) पैदा होकर अन्त रोगी की मृत्यु हो जाती है।
नोट:-अधिक प्यास, रात्रि में तीव्र प्यास के साथ गले को सूख जाना, अपरितृप्त क्षुधा, चीनी युक्त वर्णशून्य अधिक मात्रा में पेशाब होना, शरीर शुष्क तथा कमजोर हो जाना आदि प्रधान लक्षणों से इसे सुगमता पूर्वक पहिचाना जा
सकता है ,तथा आवश्यकता पड़ने पर पेशाब की जाँच करवा कर सही निष्कर्ष
निकाला जा सकता ।
इस रोग के 50% रोगी डायबिटीज कोमा (मधुमेहजन्य सन्यास) 25% न्यूनोनियां, या क्षय रोग से तथा शेष ‘गैंग्रीन’, ‘वृक्क प्रदाह”घाव’ क्षत स्फोटक तथा मस्तिष्क के रक्तस्राव आदि रोगों से मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं।
मधुमेह (DIABETES) के लिए जरुरी पथ्य
मधुमेह (DIABETES) के लिए जरुरी पथ्य -मांस, अन्डे, मछली आदि का शोरबा, घी, मक्खन, पनीर, टोस्ट,ताजी शाक-सब्जी-कद्दू, कुलफा, मूली, पालक, तोरई, परबल, लौकी, सेम,कासनी के पत्तों की भुजिया, गूलर, मानकन्द, बैंगन, मटर की छीमी, लिसोढ़ा आदि दें।
फलों में आम, अनार, लौकाट, सेब, जामुन, जामरूल (बंगाल का सफेद
जामुन), नाशपाती, सन्तरा, मौसम्मी आदि हल्के फल दें। चोकरयुक्त आटे की
रोटी दें। कागजी नीबू का रस थोड़े नमक के साथ पानी में डालकर पिलाना भी
लाभप्रद है।
मधुमेह (DIABETES) के लिए अपथ्य
मधुमेह (DIABETES) के लिए अपथ्य -नया चावल, शीतल जल, शीतल द्रव्य, वर्फ, गर्म तथा मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन, धूप में चलना-फिरना, परिश्रम का कार्य, मैदा, चीनी, गुड़,शक्कर, माँस, अन्डा, तेल, बैंगन, मछली आदि का अधिक सेवन, अधिक मैथुन तथा धूम्रपान, अपथ्य हैं। इस रोग के रोगी को पाँव के गट्टे कभी न काटने दें तथा नही कभी शरीर के किसी भी स्थान पर नश्तर ही लगवायें।
मधुमेह (DIABETES) के लिए उपचार
मधुमेह (DIABETES) के लिए उपचार -मूल कारणों को दूर करें। रोगी को पोषण हेतु ‘कैलौरी युक्त’ खाना दें। भिन्न-भिन्न प्रकार के उपयोगी बल्ययुक्त भोज्यपदार्थ खिलायें।
रक्त की शर्करा साधारण मात्रा के अन्दर रखने का यत्न करें। रोगी का ‘भार’ न बढ़ने दें। यह शीघ्रघाती रोग नहीं है। इलाज न करने से ‘घातक’ है। उचित आहार-विहार तथा चिकित्सा से रोगी ठीक रहता है।
नित्यप्रति सुबह-शाम घूमना या हल्के-हल्के तैल की मालिश करना अत्यन्त उपयोगी है। क्योंकि हल्के व्यायाम से पेशाब में चीनी की मात्रा घटती है।
आयुपर्यन्त इस रोग से ग्रसित रोगी अपने खान-पान में सावधानी बरतें। यदि
कभी चावल, रोटी, आलू, आदि या मिठाई खाली जाये तो पेशाब में फिर चीनी
आने लगेगी। सर्दी से बचें तथा सदैव गरम कपड़े पहिनायें, किसी भी प्रकार का
कठिन परिश्रम, चिन्ता और मानसिक परिश्रम बिल्कुल न करने दें।
मधुमेह (DIABETES) नाशक प्रमुख आयुर्वेदिक उपचार
- जे.के. 22. टेबलेट (चरक)-यह टेबलेट Diabetes रोग में जब भोजन,परहेज, व कसरत से नियन्त्रण न हो तो सेवन करानी चाहिए। यह गोली शरीर में इन्सुलिन की मात्रा को बढ़ाने में सहायक है। (पुराने मधुमेह रोगी के लिए जब प्राथमिक या अन्य इलाज से कोई लाभ न हो, मूत्र-शर्करा एवं अधिक रक्त शर्करा के लिए उपयुक्त औषधि है।)
नोट-बालक के मधुमेह, सगर्भानारी शस्त्रक्रिया आदि में यह टेबलेट
कदापि न दें।
सेवन विधि-1 से 2 टिकिया भोजनोपरान्त दिन में 1-2 बार जल के
साथ सेवन करायें। विशेष:- जिन्हें मधुमेह न हो उन्हें भूलकर भी न दें।
- डायबिट टेबलेट (मेहता)-1-2 टिकिया आवश्यकतानुसार मधुमेह में प्रयोग करायें। प्रमेह केसरी कैपसूल (मिश्रा)-1-2 कैपसूल सुबह-शाम आवश्य-कतानुसार प्रयोग करायें।
- उदुम्बर थनसत्व (गर्ग)-1-1 ग्राम दिन में 2 बार अथवा आश्यकतानुसार प्रयोग करायें।
- शिलाजीत सूचीबेध (सिद्धी, मिश्रा, बुन्देलखन्ड)-1 से 2 मिली.सप्ताह में 2-3 बार मांस, चर्म अथवा शिरा में दें।
- गुड़मार सूचीवेध (प्रताप)-1-2 मिली. प्रतिदिन या आवश्यकतानुसार माँसपेशी में दें। रोग कन्ट्रोल होते ही मात्रा कम करते चले जाये तथा बाद में बन्द कर दें।
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मधुमेह (DIABETES) नाशक कुछ घरेलू प्रयोग
- जामुन की गुठली का चूर्ण 50 ग्राम, सोंठ 50 ग्राम, गुड़मार बूटी 100 ग्राम सबको कूटपीसकर कपड़छन करलें तथा ग्वारपाठे के रस में घोटकर जंगली बेर (झड़बेर) के समान गोलियाँ बना लें। यह गोली दिन में 3 बार शहद से लें। कम से कम एक माह सेवन करें। अवश्य लाभ होगा।
- उत्तम छुहारे लेकर उनके टुकड़े कर लें और गुठलियाँ निकाल दें। इसके 3-4 टुकड़े मुख में रखकर चूसते रहें। दिन में 8-10 बार चूसना चाहिए तथा 5-6 माह सेवन करें।
- प्रतिदिन 5 ग्राम शिलाजीत दूध में मिलाकर पीने से मधुमेह भाग जाता है। कम से कम एक किग्रा. शिलाजीत सर्दियों में सेवन करें।
- 9 20 ग्राम बिनौलों को कूटकर 600 ग्राम पानी में औटायें। जब पानी चौथाई रहे, तब मलछान कर 10-10 ग्राम दिन में 3-4 पियें। कुछ समय तक निरन्तर सेवन से लाभ मिलेगा।
- वटवृक्ष (बड़ या बरगद) की छाल 400 ग्राम पानी में पकायें। जब 20 ग्राम पानी रह जाये तब आग से उतार कर छानकर पिलायें। प्रात: सायं के नित्य एक मास सेवन से मधुमेह नष्ट हो जायेगा।
- Diabetes में चने की रोटी खाना, करेला का रस (दो तोले से एक मात्रा में अधिक नहीं) पीना तथा बिल्व पत्र की पत्तियों को काली मिर्च के साथ खाना आदि मात्र सात दिनों के अन्दर Diabetes को कन्ट्रोल करता है। मधुमेह में 30 ग्राम गोमूत्र पान करते रहने से भी लाभ होता है।
- विशेष: कम से कम बोलें, शारीरिक क्षमता अनुसार व्यायाम अथवा प्रात: सायं भ्रमण अवश्य करें, स्वच्छ पानी में तैरना लाभप्रद है, दिन में शयन न करें,रोटी कम खायें, हरी शाक-सब्जियों तथा फलों का अधिक सेवन करें, मीठे का प्रयोग बिल्कुल बन्द कर दें। औषधि सेवन से पूर्व तीन दिन का उपवास करें।
मधुमेह (DIABETES) आयुर्वेदिक शास्त्रीय औषधियाँ
- त्रिफला चूर्ण से पेट साफ करें, नवायस या अग्नितुन्डी दें। प्रतिदिन प्रातः काल स्वर्जिकाक्षार (सोड़ा) सुर्दशन के साथ दें तथा आवश्यकता पड़ने पर संशमनी प्रयोग करायें।
- Diabetes त्रिबंगशिला,कुसुमाकर रस, तारकेश्वर रस, मूत्रसंगृहण क्वाथ तथा बंग भस्म एवं नाग भस्म आदि का प्रयोग हितकर है।
- बंग भस्म को नागभस्म के साथ गुड़मार मिलाकर सेवन कराने से मधुमेह में लाभ मिलता है।
- नागभस्म शिलाजीत के साथ देने से भी मधुमेह में अच्छा फायदा होता है। मधुमेह की अन्तिम अवस्था (सन्यास, मूर्छा) में सर्व औषधियों में नागभस्म श्रेष्ठ है।
- Diabetes में झण्डु निर्मित त्रिबंगशिला (जिसमें बंग+नाग+यशद भस्म है तथा अन्य औषधियां भी सम्मिलित है।) का प्रयोग हितकर है। सेवन विधि 2-2 गोली सुबह-शाम जल, दूध आदि से खिलायें। मधुमेह में चन्द्रप्रभा वटी के साथ बसन्त कुसुमाकर रस का निरन्तर सेवन लाभप्रद है।
Wikipedia :- Diabetes
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